Nasha In Muzaffarnagar
नशा मुक्त मुज़फ्फरनगर
Written By Shahid Khadim


मुज़फ्फरनगर की नई चुनौती नशा: मुज़फ्फरनगर जिसे कभी अपनी तहज़ीब, खेती-किसानी और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता था, आज एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है। यह संकट नशे के बढ़ते प्रचलन का है, जो न केवल युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है, बल्कि पूरे समाज को खोखला कर रहा है। स्मैक, गांजा और अन्य मादक पदार्थों का कारोबार इस जिले में तेजी से बढ़ रहा है। यह एक ऐसी समस्या बन चुकी है, जिसे अनदेखा करना अब संभव नहीं। इसमें कोई शक नहीं कि नशे का यह कारोबार कुछ संगठित गिरोहों के द्वारा चलाया जा रहा है। यह गिरोह न केवल नशे की आपूर्ति करते हैं, बल्कि युवाओं को इसकी लत लगाने का काम भी करते हैं।
युवाओं पर नशे का प्रभाव: नशा सबसे अधिक असर युवाओं पर डाल रहा है। स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र, जो देश का भविष्य कहे जाते हैं, इस जाल में फंस रहे हैं। स्मैक जैसे मादक पदार्थों की लत उन्हें शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से बर्बाद कर रही है। नशे के कारण न केवल युवाओं का स्वास्थ्य खराब हो रहा है, बल्कि वे अपराध की दुनिया में भी धकेले जा रहे हैं। नशे की लत पूरी करने के लिए चोरी, लूटपाट और अन्य अपराधों में उनकी संलिप्तता बढ़ रही है।
एक विशेष गिरोह की भूमिका: मुज़फ्फरनगर में नशे के कारोबार के पीछे कुछ संगठित गिरोह काम कर रहे हैं। इन गिरोहों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि वे न केवल नशे की आपूर्ति करते हैं, बल्कि पुलिस और प्रशासन पर दबाव बनाने का भी काम करते हैं। सूत्रों के अनुसार, इन गिरोहों में से एक प्रमुख गिरोह जिले में लंबे समय से सक्रिय है। यह गिरोह नशे के कारोबार से कमाए गए पैसे को संपत्ति में निवेश करता है और अपने प्रभाव को बढ़ाता है। यह गिरोह स्थानीय स्तर पर राजनीतिक और प्रशासनिक तंत्र को भी प्रभावित करने की कोशिश करता है। सूत्रों के अनुसार, इस गिरोह के सदस्यों ने जिले के विभिन्न इलाकों में करोड़ों की संपत्तियाँ खरीदी हैं। यह गिरोह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके पुलिस और प्रशासन को गुमराह करने की कोशिश करता है।
नशे के सामाजिक प्रभाव: नशे का यह कारोबार केवल युवाओं तक सीमित नहीं है। यह पूरे समाज को प्रभावित कर रहा है। नशे के कारण परिवार टूट रहे हैं, अपराध बढ़ रहा है और समाज में असुरक्षा का माहौल बन रहा है। मुज़फ्फरनगर जैसे जिले, जो अपनी सामुदायिक एकता के लिए जाने जाते थे, अब नशे के कारण विभाजित हो रहे हैं। नशे की लत के कारण परिवारों में कलह और तनाव बढ़ रहा है।
प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी: नशे के इस बढ़ते कारोबार को रोकने के लिए प्रशासन और समाज को मिलकर काम करना होगा। प्रशासन को न केवल इन गिरोहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, बल्कि नशे के शिकार लोगों के पुनर्वास के लिए भी कदम उठाने चाहिए। वहीं, समाज को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। माता-पिता को अपने बच्चों पर ध्यान देना होगा और उन्हें नशे के खतरों के बारे में जागरूक करना होगा। स्कूल और कॉलेजों में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।
नशे के खिलाफ जंग: नशे के खिलाफ जंग लड़ना आसान नहीं है, लेकिन यह असंभव भी नहीं है। इसके लिए प्रशासन, समाज और मीडिया को एकजुट होकर काम करना होगा।
कानूनी कार्रवाई: मुज़फ्फरनगर मे नशे के कारोबार में शामिल गिरोहों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
जागरूकता अभियान: समाज में नशे के खतरों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाए जाएं।
युवाओं को सही दिशा: युवाओं को खेल, शिक्षा और अन्य रचनात्मक गतिविधियों की ओर प्रोत्साहित किया जाए।
नशा एक ऐसी बुराई है, जो समाज को अंदर से खोखला कर देती है। इसे खत्म करने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा। मुज़फ्फरनगर को नशामुक्त बनाना न केवल प्रशासन की जिम्मेदारी है, बल्कि समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। "अगर हम आज नहीं जागे, तो कल बहुत देर हो जाएगी। नशे के खिलाफ यह जंग हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए है। आइए, मिलकर मुज़फ्फरनगर को नशामुक्त बनाएं।"




